स्वप्न लोक
स्वप्न लोक
स्वप्न लोक की बातें
होती बहुत ही प्यारी
सारे जहाँ की ख़ुशियाँ
छलकती अलग ही प्याली।
जो ना मिला असल जिंदगी में
सब कुछ मिल जाता सपने में
अधूरी अकाँक्षाएँ पूर्ण हो जाती
सोये बंद आँखों के स्वप्न लोक में।
बस मानव के कुछ नहीं होता
सोच हावी उस पर हो जाती
नींद में होते हुए भी उनींदी
स्वप्नलोक की सैर हो जाती।
कारोबार सब विचारों का
जैसे होंगें वैसे सपने देंगे
दुखी मन न सुखी होता
सुखी सदा सुखी ही होता।
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कर्म दिमाग को घुमाते
स्वप्न लोक के सैर कराते
अच्छा बुरा कर्मों पर निर्भर
हम डर कर रह -रह जाते।
विश्वास बनता सपनों के साथ
हर पहर की अलग ही बात
सुबह सवेरे का सच होता
बड़े बूढ़े यह कहते बात।
जागी आँखें भी लेती हैं सपना
पर पूर्ण होने का प्रयास नहीं
गर सपनों को साकार है करना
मेहनत का आयाम ही ले लो।
अधूरे सपने ना सिर झटको
न दिन सोच बर्बाद करो
जो होना है होकर रहेगा
अपने पर विश्वास करो।