Shayra Zeenat ahsaan

Inspirational

5.0  

Shayra Zeenat ahsaan

Inspirational

चाहता था

चाहता था

1 min
297


मैं मुसीबतों को मात देना चाहता था

हर एक धोखे को घात देना चाहता था।


जो न मिल सकी थी मुझे

देना चाहता था उन्हें वो खुशी

न जाने कितनी इच्छायें उनकी

अभावों के हवनकुंड में दबी

उन्हें सुविधाओं की सौगात देना चाहता था।


आसमां की बुलंदियों पर जाना था मुझे

कुछ कर के दिखाना था मुझे

पर मुसीबतों ने डेरा डाल रख्खा था

बहुत से दर्द मैने पाल रख्खा था

मैं गमों को मात देना चाहता था।


मैंने जब भी खेलना चाहा, खेल नहीं पाया

जिम्मेदारियों ने हमेशा नया जाल बिछाया

माँ की साड़ी, बहन की शादी,

भाई की पढ़ाई ने रुख मोड़ दिया था

ज़रूरतों ने भीतर तक मुझे तोड़ दिया था

मैं भी अंधेरो को मात देना चाहता था।


हौसला बुलन्द कर मैंने हिम्मत का हाथ थामा है

आत्मविश्वास और निर्भीकता से,

सफलता का पहन लिया जामा हैं

कड़ी धूप में मेहनत कर मैंने ये मुकाम पाया है

मेरे सर पर माँ की दुआओं का साया है

मैं मुसीबतों में सब का साथ देना चाहता था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational