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Drdeepshikha Divakar

Inspirational

5.0  

Drdeepshikha Divakar

Inspirational

ममता

ममता

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हां मैं माँ हूँ

हां ये मेरी ममता हैं।

रूप कोई भी हो

धूप कितनी भी हो

रंग कैसा भी हो

संग किसी का भी हो

हर पल तेरे साथ हूँ।


देती अपना हाथ हूँ

मुझे तुझसे कोई लालसा नहीं

मैंने तुझसे दिल की कोई बात भी नहीं कही

हर पथ पर दूंगी तेरा साथ

इसमे शक की नहीं है बात।


तेरी हँसी पर हँस देती हूँ

तेरे गम में रो देती हूँ

कभी पलट कर डाट देती हूँ

कभी लिपट कर सहला देती हूँ।


तेरे चेहरे को मैं पढ़ लेती हूँ

तेरी कामना जान लेती हूँ

तेरी उदासी मुझे झकझोर देती है

तेरी मासूमियत मुझे जिजीविषा देती है।


तेरे माँ कहने पर मैं खिंची चली आती हूँ

तेरे आह कहने पर मैं रुंध सी जाती हूँ

मैं साथ हूँ जब तक आंच तुझ पर आने न दूंगी

जीवन मे रहे तू खुश बस यही कामना करूँगी।


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