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Drdeepshikha Divakar

Inspirational

5.0  

Drdeepshikha Divakar

Inspirational

ख्वाब

ख्वाब

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ये ख्वाब मैने खुली आँखों से देखें है।

अपने अरमान परिस्थितियों में सेके है। 

बड़ी मसक्कत से आये है यहाँ।

यही तो है मेरे ख्वाबो का जहाँ।


कोई ख्वाब अधूरा न रह जाये।

पछतावा कभी हमसे न कह पाये।

मेरी तमन्नाओं की कोई झड़ी नहीं है।

यकीन मानो कोई जादू की छड़ी नहीं है।


ये ख्वाब तो वो है, जो तुम्हे सोने न दे।

तुम्हारी हिम्मत कभी खोने न दे।

नसीब का रोना कब तक रोओगे

उठो भ्रम से कब तलक सोओगे।


आज भी देर नही है, लिख दो अपनी कहानी

सुनोगे जिसे कल सबकी ज़बानी।


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