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Akhtar Ali Shah

Inspirational

3  

Akhtar Ali Shah

Inspirational

कविता..शर संंधान

कविता..शर संंधान

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पत्थर को मोम बनाए हम ,

हर बाधा का सम्मान करें ।

बस लक्ष्य नजर में हो केवल ,

शर, सोच समझ संधान करें ।।


जिनके शर राहों से भटकें ,

वे छोड़ दें तीरंदाजी को ।

हरगिज वे जीत न पाएंगे ,

इस हार जीत की बाजी को।।

हैं लक्ष्य अचूक नहीं जिनके,

क्या उन्हें मंजिले वरती हैं ।

जो सतत परिश्रम करते हैं,

मंजिले उन्ही से डरती हैं ।।

है बहुत जरूरी इसीलिए ,

हम अपना सुख बलिदान करें।

बस लक्ष्य नजर में हो केवल,

शर,सोच समझ संधान करें ।।


आदर्श बनाएं अर्जुन को ,

मछली की आंख नजर आये।

न पेड़ दिखे ना पात कोई ,

आंखों में लक्ष्य फकत छाये।।

सोते जगते बस मकसद के ,

पीछे तत्परताएं दौड़ें ।

हों लाख भ्रमित करने वाले,

मकसद को तनिक नहीं छोडें।।

जब तक न करें हासिल मकसद,

हम मकसद का ही ध्यान करें ।

बस लक्ष्य नजर में हो केवल,

शर,सोच समझ संधान करें ।।


जो फेल परीक्षा में होते ,

वे चलकर भी कब चलते हैं।

घानी के बैल बने रहते ,

वे खुद अपने को छलते हैं।।

चल चल के थकते रहते हैं,

ना कहीं पहुँचने पाते हैं ।

वे शुरू जहाँ से करते हैं ,

फिर घूम वहीं आ जाते हैं ।।

न हो अपनी मेहनत जाया

हम सही सही अनुमान करें । 

बस लक्ष्य नजर में हो केवल,

शर,सोच समझ संधान करें ।



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