भारत ही हमारा धर्म
भारत ही हमारा धर्म


चाहे कर लो सजदे ,
चाहे कर लो आराधना,
सबका ईश्वर एक है,
तुम्हें पड़ेगा मानना।
अलग-अलग धर्म है,
मानव ने ही बनाए हैं।
पहुंचना ईश्वर तक है सबको,
रास्ते अलग दिखाए हैं।
राजनीतिक तुम को मूर्ख बनाकर,
अपना मतलब साधते हैं।
धर्म के नाम पर वह,
हम को बांटते हैं।
आतंकवादी खेल रहे,
युवकों के कोमल मन पर।
कभी पत्थर तो कभी बंदूक,
चला दी उन्होंने अपनों के तन पर।
जो मजहब का ज्ञान बांटते,
क्या कभी उन्होंने गीता कुरान पढ़ी ?
छुपकर बिल में घुस जाते हैं वह,
जब देश पर मुसीबत आन खड़ी।
कौन सा धर्म कौन सी किताब,
खून खराबा सिखाती है।
प्रीत अमन-चैन का ही,
गीता, कुरान पाठ पढ़ाती है।
छोड़ दो यह भेदभाव,
नफरत की दीवार गिराओ।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई,
एकजुट होकर सब भाई।
देश को उन्नति की
राह दिखाओ।
भारत ही हमारा धर्म है,
बाकी सब भ्रम है।