बच्चे होते इस जमीन पर आसमान के चांद सितारे
बच्चे होते इस जमीन पर आसमान के चांद सितारे
बच्चे होते प्यारे प्यारे
राज दुलारे
न्यारे न्यारे
जग की आंखों के तारे
इस जमीन पर
आसमान के चांद सितारे
फूलों से होते वह सुंदर और
एक हिरण के बच्चे से मासूम भी
इस पल रोते
उस पल हंस पड़ते
बहल जाते चुटकियों में
हर किसी की गोद में चले जाते और
मुस्कुराते कलियों से
चेहरे पर भाव लाते ऐसे जैसे
सबसे उनकी पहचान
न जाने कब से
कितनी सदियों से
कितने बरसों से
शायद जन्मो से
मन होता उनका
एक स्वच्छ दर्पण
तन दमकता ऐसे जैसे हो
कलियों का एक रंग बिरंगी सुगंधित कोई उपवन
बच्चों से खेल लो
बतिया लो
उनके पास बैठ लो कुछ देर तो
दिन भर की थकान
मिनटों में फुर्र हो जाती
बच्चों के पीछे भागो
उनके साथ चलो या
दौड़ो तो
जाम से हुए घुटनों और पांवों में
जान आ जाती
बच्चों का होता सरल स्वभाव
एक टॉफी
एक बिस्कुट
एक गुब्बारा ही होता उनका
सम्पूर्ण संसार
बच्चों का हर कार्य
स्वाभाविक होता
कहीं से बनावटी नहीं
बच्चे की मासूमियत को तो
समय के साथ
इस दुनिया की जटिलताओं का
जाल छीनता
बच्चे तो होते
स्वर्ण से सुंदर
चांदी से पवित्र
एक गंगाजल की अमृत धार
उन्हें दूषित तो फिर
यह संसार ही कभी न कभी करता।