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Kamal Purohit

Abstract Others Children

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Kamal Purohit

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ब्रज का राजदुलारा

ब्रज का राजदुलारा

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इठलाये मैया की गोदी ब्रज का राज दुलारा।

ऐसा दृश्य मनोहर था लगा आँख को प्यारा।


चोरी चोरी चुपके चुपके माखन खाते जाते

टुकुर टुकुर मैया को देखे नैन बड़ा मटकाते


नंद यशोदा देख देख कर हर्षित होते जाते

बाहों में लेकर कान्हा को प्रेम उड़ेले सारा

ऐसा दृश्य मनोहर....


वृंदावन से धेनु चराकर घर में कान्हा आये

गाँव की सारी गोपियों को अपने द्वारे पाये


चोरी का इल्ज़ाम लगा तो मन ही मन घबराए

छड़ी हाथ में ले मैया ने गोपाल को पुकारा

ऐसा दृश्य मनोहर..….


बोली यशोदा की सहेली मिट्टी कान्हा खाये

मैं रोकी तो बड़ी बड़ी सी आँखे मुझे दिखाये


अपने आँचल से कान्हा का मुख जब साफ कराये

कान्हा के मुख में मैया को दिखा ब्रह्मांड सारा

ऐसा दृश्य मनोहर...


शरारतों का अंत न पाकर,गुस्सा करती माता

ओखल से बाँधूगी तुझको, कहती जाती माता


बांध न पाई कान्हा को जब, सोच में पड़ी माता

तब कान्हा ने ख़ुद को बांधा, अद्भुत दिखा नज़ारा

ऐसा दृश्य मनोहर था....


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