अपना मित्र ! दोस्त
अपना मित्र ! दोस्त
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दिल अलग अलग है,
धड़कने मगर हैं एक।
तन बदन अलग है,
मगर मन बना है नेक।।
दुनियाँ ने रख दिया है उसका नाम,
यार, मित्र ! अपना मित्र !
उनका धर्म एक, एक ही है उनका काम,
तुम महक उठो, गमक उठो कि जैसे इत्र !
