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ANANDAKRISHNAN EDACHERI

Inspirational Children

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ANANDAKRISHNAN EDACHERI

Inspirational Children

स्वातंत्र्यामृत

स्वातंत्र्यामृत

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स्वतंत्रता के आँगन में पंख बिछाकर उड़ता कौन ?

स्वतंत्रता से उड़ता है, खुशी खुशी से चिडिया गण


आज बह रही नदी सारे, आगे बढकर जाती क्यों ?

स्वतंत्रता से भूमि के, शुभकर तन की धुलाई को।


पृथ्वी पर नवजात शिशु हाथ उठाकर रोता क्यों ?

स्वतंत्रता की चिंगारी से, हुदयपटल को सुलगाने।


तिलक लगाकर तेज़ी से नारी दल क्यों दौड रही ?

नारा लगाकर पुरुषों से द्रुत स्वातंत्र्यामृत चूसने को 


हिमगिरि अटल न विचलित हो पुकारता है ज़ोर से

स्वतंत्र भारत के शान को कभी न खो देना है हम।


निस्पृह तृण व द्रुम राजा शीश उठाकर कहता क्या

हरी भरी इस प्रकृति को स्वतंत्रता से खिलने दो॥


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