STORYMIRROR

Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

3  

Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

बौनी उड़ान

बौनी उड़ान

1 min
357

तुम से प्रेरणा पा,

नन्हे -नन्हे कदमों से,

इंसान ऊंचाईयों का,

सफर तय कर जाता है।


कितने बड़े बड़े

कामों को, 

पलों में कर जाता है।

धरती से चांद तक की,

दूरी तय कर जाता है।


लेकिन

हे ईश्वर

तुम्हारे आगे

खड़े होने पर,

हर उड़ान को,

बौनी ही पाता है।


तुमसे प्ररेणा पा,

नन्हे-नन्हे हाथों से,

बंजरो को आबाद,

कर जाता है।


समंदरों से पहाड़ों तक,

पुलों को खींच आता है।

दुनियां के दुर्लभ,

संसाधनों को ढूंढ लाता है।


लेकिन

हे ईश्वर

तुम्हारे आगे

खडे होने पर

हर उड़ान को,

बौनी ही पाता है ।


तुमसे प्रेरणा पा,

नन्हें-नन्हे विचारों से,

ग्रंथों को भर जाता है।


अपनी सोच की

सीढ़ी से,

जीवन और मृत्यु की,

मुश्किलें हल तो,

 कर जाता है।


लेकिन तुम तक

नहीं पहुंच पाता है

तुम्हारे आगे,

खड़े होने पर,

ऊंची से ऊंची,

हर उड़ान को,

बौनी ही पाता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract