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B. sadhana

Abstract

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B. sadhana

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बावरा मेरा मन

बावरा मेरा मन

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ओ ओ ओ ओ

बावरा सा मेरा मन 

कभी चाहे कुछ 

तो कभी चाहे कुछ और।


मेरा मन,

किसी मोड़ पर जाकर रुके

किसी मोड पर जाकर शुरू ।

कहीं रुके, कहीं चले ,

बाबरा सा मेरा मन।


हार माना कभी

तो जीत मनाए कभी,

जीवन के लिए

मन पर पर बदलता

लेकिन मन कई बार उड़ता

गिरता रहता है।

बावरा सा मेरा मन।।


ओ ओ ओ।

बावरा सा मेरा मन 

कभी चाहे कुछ 

तो कभी चाहे कुछ और!


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