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Anuradha Negi

Abstract

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Anuradha Negi

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बातें अभी बाकी हैं

बातें अभी बाकी हैं

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क्यों खोए हो इस तरह कहीं तुम

जिंदगी में तमाशा बाकी है 

रुको अभी ना जाओ महफिल से

दर्द से होनी मुलाकातें बाकी हैं।

हद कर देते हो कभी तुम 

अरे मित्र इतना रोते क्यों हो 

रात भर जागकर यादों में

फिर झूठा तुम सोते क्यों हो।

आखिर कब तक खुद को यूं 

कोसते जाओगे मित्र तुम 

कभी तो खुशी के क्षणों को 

जीकर भी हो जाते गुम।

चलो मिल लेते एक शाम कहीं हम 

चाय की चुस्की और बांट लेते गम 

अब तक रोते याद करके 

भूल गया हूं दिखाया सबको 

अरे रुक तो जाओ जरा अभी

मिलनी हैं जो वो मातें बाकी हैं।

छोड़ो बन जाने दो जिंदगी को

रोज के लिए कहावत कहानी 

अरे जाने दो और गिरने दो 

सुलगती आंखों का नम पानी।

क्या हो जाएगा महफिल में 

अगर हम जरा तारीफ कर देंगे 

वरना उससे करनी तो अभी 

शिकायत की सारी बातें बाकी हैं।

                  



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