Baman Chandra Dixit

Abstract

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Baman Chandra Dixit

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आप के साथ

आप के साथ

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हैं हम चाहते आप् को

ये हम जाने और आप भी 

पर चाहत है कितनी 

काश ये बता पाते किस दिन।


क्या क्या नहीं किये हैं आप्

हमारी खुशी की खातिर

शायद आप् ये भूल भी जाएं

हम ना भूले वो दिन।


हमे याद है वो चवन्नी

माघ मेले का पहला दिन।

आप की  ऊँगली पकड़ 

घूमने वाले वो सुहाने दिन।।


तीन पैसे का लेवन चूस

पांच का लड्डू बम्बइया।

पांच पैसे का राम चकरी और

पांच में बाइस्कोप का दिन्।।


किताबों का बस्ता कंधे में

और गोद में आप् की सवार 

नदी पार का नज़ारा

और स्कुल जाने वाले वो दिन।


सांझ का बेला, खुला आँगन

चाँद की रौशनी तले।

पुराण ,महाभारत के किस्से

सुनाने वाले दिन।


आज् सोचें तो लगते किस्से

पर थे तो अपने वाले दिन्

काश कोई लौटा दे आज वो

गुजरे हुए दिन।।


कल वे थे आप के त्याग

आज् ये फर्ज मेरे।

आप् ख़ुश तो हम है सुखी

दुःखी हैं आप् बिन।


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