माॅं
माॅं
माॅं है एक जादूगर, तू है ममतामई
सौम्य छवि है तेरी, तू है करूणामई,
दिल को मिलता सूकूं, तेरे आंचल में माॅं,
तेरे जैसा है दुनिया में कोई नहीं,
तेरे जैसा है दुनिया में कोई नहीं........
जब न अस्तित्व दुनिया में मेरा रहा,
एक कण भी यहां कुछ ना मेरा रहा,
रख लिया माॅं संजोकर मुझे गर्भ में,
दे दिया था जगह मुझको निज गर्भ में, माॅं
कितनी पीड़ा सही फिर भी हंसती रही,
फिर भी दुनिया में लाने को आतुर रही,
तेरे जैसा है दुनिया में कोई नहीं,
तेरे जैसा है दुनिया में कोई नहीं........
लड़ता हूँ जब भी आशा-निराशा से माॅं,
खुद को पाया अकेला हताशा में माॅं,
याद आंचल वो तेरा सताता रहा,
चीखकर माॅं तुझे ही बुलाता रहा,
तू ही पग-पग डगर पे चलाती रही,
साथ में होती माॅं फिर कोई डर नहीं
तेरे जैसा है दुनिया में कोई नहीं,
तेरे जैसा है दुनिया में कोई नहीं........
तेरे आंचल में रातें गुजारी थी माॅं,
ऐसा आराम अब तो न मिलता है माॅं,
मुझको अमृत पिला खुद ही भूखा रही,
मुझको आंचल में ढंक खुद ठिठुरती रही,
अपने आंचल से माॅं दूर करती नहीं,
माॅं के जैसी किसी को फिकर ही नहीं,
तेरे जैसा है दुनिया में कोई नहीं,
तेरे जैसा है दुनिया में कोई नहीं........
माॅं के बिन कैसा होता ये जीवन मेरा,
तेरे बिन कैसा होता सवेरा मेरा,
तुम हो वरदान माॅं मेरी भगवान माॅं
तुम सभी वेद गीता और कुरान माॅं,
तेरे बिन कोई आता नज़र ही नहीं,
तेरे स्तुति को है पास आख़र नहीं,
तेरे जैसा है दुनिया में कोई नहीं,
तेरे जैसा है दुनिया में कोई नहीं.......