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प्रभात मिश्र

Abstract

4.7  

प्रभात मिश्र

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बात ज्ञान की भारी

बात ज्ञान की भारी

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434


बतलाता हूँ सुनो ध्यान से

बात ज्ञान की भारी

नृप बनने से पहले हो

नृप बनने की तैयारी 


युक्ति प्रयुक्ति का कौशल हो

गूढ़ महा मति धारी

भूले से भी निज मुख से

निकृष्ट न वचन निकारी


बतलाता हूँ सुनो ध्यान से

बात ज्ञान की भारी

नृप बनने से पहले हो

नृप बनने की तैयारी


योजनायें हो गुप्त सदा ही

प्रकट न होने वाली

शत्रु मित्र में भेद पता हो

संशय मिटे संभारी 


बतलाता हूँ सुनो ध्यान से

बात ज्ञान की भारी

नृप बनने से पहले हो

नृप बनने की तैयारी


मृदु वक्ता हो सौम्य स्वरुपा

मौन व्रती हो भारी

श्री संपन्न शास्त्रज्ञ हो

सत्य सरलता धारी


बतलाता हूँ सुनो ध्यान से

बात ज्ञान की भारी

नृप बनने से पहले हो

नृप बनने की तैयारी


स्व रक्षण में भी तत्पर हो

पर रक्षा व्रतधारी 

कुटिल नीति प्रयोक्ता होवे

शत्रु हृदय विदारी


बतलाता हूँ सुनो ध्यान से

बात ज्ञान की भारी

नृप बनने से पहले हो

नृप बनने की तैयारी


सर्व प्रिय होकर भी होवे

निज धर्म व्रतधारी

जनरंजन में अनुरक्त हो

प्रिय अप्रिय न विचारी


बतलाता हूँ सुनो ध्यान से

बात ज्ञान की भारी

नृप बनने से पहले हो

नृप बनने की तैयारी


हानि लाभ रक्षा संग्रह 

सारे सूत्र विचारी 

संधि विग्रह पर विचार के

निज उद्योग प्रसारी 


बतलाता हूँ सुनो ध्यान से

बात ज्ञान की भारी

नृप बनने से पहले हो

नृप बनने की तैयारी


धृति दक्षता संयम बुद्धि

धैर्य शौर्य व्रतधारी 

आत्मवान हो बने प्रतापी

देशकाल मति धारी


नृप बनने से पहले हो

नृप बनने की तैयारी

बतलाता हूँ सुनो ध्यान से

बात ज्ञान की भारी 

 


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