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Harish Sharma

Romance

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Harish Sharma

Romance

बारिश

बारिश

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घर की खिड़की से झांकता हूँ

पानी बरस रहा है बाहर

तुम्हारी यादें भीतर

मैं उनमे भीग रहा हूँ

उस पहली मुलाकात की खुशबू

जैसे आस पास ही गा रही हो

सामने बागीचे में झूमता फूल

अब भी तुम्हारी मुस्कान जैसा है

मैं अब भी बारिश में तुम्हारे अक्स देखता हूँ

गुनगुनाया करता हूँ झींगुरों के साथ अपनी मुलाकातें।


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