समानता
समानता
मैंने बचपन से औरतों को मन्दिर जाते देखा है
मस्जिदों में उन्हें नहीं जाते देखा
समाजवादियों को सबसे अधिक आपस में लड़ते
और पूंजीपतियों को एकता के सूत्र में बंधते
देखा है प्रबुद्ध समाजिक कार्यकर्ताओं को
जो अपने घर में हर सामाजिकता दफन करते रहे
भोग विलास को दुत्कारने वाले देखे है सबसे अधिक उत्तेजित
और क्रूर हत्यारों में देखी है ध्यान और शांति की मुद्राएं
मैंने वर्जित क्षेत्रों में देखे हैं सभ्यताओं के नग्न चेहरे
मैंने औरतों को खड़े होकर पेशाब करते नहीं देखा
समानता की बात करने वालों को देखा है
असमानता के संविधान रचते हुए
मैंने सैंतालिस, मण्डल, बाबरी, गोधरा
गुजरात और कश्मीर में खोजा है
समानता तो केवल जुनून की पाशविकता में होती है।
