साथ साथ
साथ साथ
सर्दियों की ढलती ठिठुरती शाम में
धीरे कदमों से चलते हुए
तुम्हारी हँसी गुनगुनाता हूँ
तुम्हारे उंगलियों की सरगम अब भी
मेरे हाथ को धीरे धीरे थपथपा रही है।
सर्दियों की ढलती ठिठुरती शाम में
धीरे कदमों से चलते हुए
तुम्हारी हँसी गुनगुनाता हूँ
तुम्हारे उंगलियों की सरगम अब भी
मेरे हाथ को धीरे धीरे थपथपा रही है।