बालपन की कहानी
बालपन की कहानी
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वहीं कहानी वहीं ज़ुबानी
संग बैठ कर नाना नानी,
ऊधम मचाते, कूदते गाते
बालसखा संग मौज मनाते।
पूछ पूछ कर बात जहां की,
अच्छे अच्छो का दिमाग फिराते।
मां ने जो बोला कि आग है जल जाओगे,
सीख वो अपनी ख़ुद गलती
कर कर ही सीख पाते।
पिता प्यारा होता पुत्री को,
पुत्र माता संग हैं प्रेम दर्शाते।
मतभेद हुआ मित्रों संग कभी तो
खेल खेल में उसे भुलाते।
गुरु ने जो ज्ञान दिया ,
घर आकर सबको बतलाते।
गर जो चोट लगी हो कही,
"चींटी मर गई" सुनकर खुश हो जाते।
बालक हैं अबोध अभी जो,
बालपने से हमें ललचाते।