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Bharat Thacker

Comedy

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Bharat Thacker

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बालों का अकाल

बालों का अकाल

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सर पे मेरे बाल का अकाल है

सर पे निकला चाँद, कहते है टाल है

आईना मुझे अब रास नहीं आता

टाल से जिंदगी में मचा बवाल है


टाल ने मेरा वो हाल किया

भरी महफिल में मलाल किया

कैसे सुनाऊं दास्तान अपनी

मेरी उम्र को हलाल किया


कभी सर पे लहलहाते बाल थे

राधा के संग जैसे गोपाल थे

टाल ने मुझे ना छोड़ा कहीं का

कभी कुंवारीयों के दिल की ताल थे


सर पे निकला चाँद, तब से लगते है झटके

इस की दवा के लिये हम दर दर भटके

खाद वारों से गुज़ारिश की खाद बनाये ऐसी

बाल की फसल लहलहाये डटके


टाल की बात क्यों है कमाल की

मेरी बात से लोगो ने क्यों धमाल की

एक बात बताओ मुझे यारों

मैंने बाल की खाल निकाली, या टाल की


बचे-खुचे बालों को बचाने की जहमत जारी है

बाल और टाल की जंग भारी है

आप भी बच के रहना यारों

आज हमारी तो कल आप की बारी है



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