चॉकलेट की टोकरी
चॉकलेट की टोकरी
एक थी कोटरी
कोटरी में रहती थी
चॉकलेट की टोकरी
हर समय रहता था ताला।
जो करता बच्चों को मतवाला।
क्योंकि सुबह जब वह ताला खुलता।
तब हर बच्चे का मन खुश होता।
सबको मिलती एक एक चॉकलेट।
वह थी हमारे बाबू साहब की तो कोटरी।
जिसमें रहती है उनकी टोकरी।
चॉकलेटों से भरी हुई हर बच्चे की
मनपसंद चॉकलेट उसमें होती।
हर बच्चे की आंखें उस कोटरी को देखती रहती।
कब खुलेगी, कब चॉकलेट मिलेगी।
जब बाबू साहब पूजा कर आते।
सब बच्चे भागकर वहां पहुंच जाते।
अपने-अपने हाथ बढ़ाते
एक एक चॉकलेट सब है पाते,
कभी दूसरा हाथ और बढ़ाते
और एक चॉकलेट पा जाते लगता था
जैसे लॉटरी लग गई,
इतना हम खुश हो जाते।
उस चॉकलेट में जो मजा था
मस्त मज़े की मोरटन टॉफी
आज की सब टोफीयों पर भारी।
उसके सामने फाइव स्टार भी भरती पानी।
इतनी प्यारी वह हमको लगती थी।
आज भी जब उसका नाम लेते
तो मुंह में आ जाता है पानी।
अभी मोरटन की टॉफी का नाम बदल गया है।
मगर स्वाद उसका आज भी वही है।
मीठा मधुरम मन को लुभाने वाला
चॉकलेट खाना अच्छा है।
मगर थोड़ी नहीं तो पेट में
तकलीफ होने का रहता खतरा है।
एसिडिटी, दांत का दर्द,
दांत में सड़न सब कुछ हो सकता है।
इसीलिए खाओ मगर लिमिट में खाओ,
हर चीज लिमिट में अच्छी है।
चॉकलेट सबको मिठाई से भी ज्यादा प्यारीहै।
चलो कुछ मीठा हो जाए।
थोड़ी चॉकलेट को खाया जाए।
और जिंदगी में थोड़ी मिठास घुल जाए।
