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Bharat Thacker

Drama

4  

Bharat Thacker

Drama

बेटी

बेटी

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उर से उर का द्स्तूर है बेटी

बाप की आंखो का नूर है बेटी

सुनके मिले भगवान को भी सुकून

रिश्तों के संगीत का वो सुर है बेटी


बेटी सुख का सागर है

बेटी प्यार की गागर है

बेटी बंटती है दो भागो में

बेटी दो घरो की उजागर है


मोम सा दिल लिये मुलायम होती है

बेटी की याद कायम होती है

बेटी नसीब वालों को नसीब होती है

बेटी हर गम का मरहम होती है


बेटी की शादी में, अपनो की आंखे नम होती है

बेटी की शादी शुभ होते हुए भी सितम होती है

बेटी की शादी है अजब कशिश का प्रसंग

बेटी की शादी होते ही बाप की उम्र कम होती है


बेटा पाने के लिये कुछ लोग बेशरम होते है

कोख को बेटी की कब्र बनाने तक बेरहम होते है

कुदरत की इस सच्चाई को क्यो नही समझते ये लोग ?

बेटा हो या बेटी, दोनो समान रूप से सक्षम होते है।


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