कुछ मजेदार दोहे
कुछ मजेदार दोहे
अन्दर राखे शत्रुता, बाहर दिखता प्रेम।
द्वेष भाव में जल रहा, घात करे सप्रेम।।1।।
अंग्रेजी बाबू पढ़े, बोल रहा सुन डैड।
जीते जी मम्मी कहे, लागे बहुते बैड।।2।।
सौदेबाजी कर रहे, खद्दरधारी लोग।
जनता को ही लूट के, काटें छप्पन भोग।।3।।
हिन्दी के सम्मान में, आयोजित प्रोग्राम।
भाषण दें अंग्रेजी में, नेता जी अविराम।।4।।
जनता के दरबार में, जनता है लाचार।
जनता का सेवक करे, मालिक से व्यभिचार।।5।।
होटल मोटल सब खुले, मदिरालय का द्वार।
शिक्षा चौपट कर रहे, दे पबजी को प्यार।।6।।
गिद्धों ने करके सभा, पारित की संदेश।
नश्वर है संसार ये, लूटो खाओ देश ।।7।।
रोजगार नहीं हाथ में, महंगाई की मार।
भौकाली भाषण लिए, नेता खड़ा बजार।।8।।
चोर चोर सब साथ में, मिलकर करें प्रचार।
भ्रम फैलायें राज में, करें जन का व्यापार।।9।।
बसन घट रहा देह से, हृदय घट रहा नेह।
संस्कार को खो रहा, पश्चिम प्रेम सदेह ।।10।।
