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Anuradha Negi

Comedy Children

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Anuradha Negi

Comedy Children

हिमपात

हिमपात

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पांव टिके ना जब जमीं पर यहां

थरथर कांपनेे वाली सर्दी थी वो

बाहर भी जाना होता था हमको 

माघ महीने की बरखा पड़ती जहां।


धुंध से सब आवरण भरा पड़ा है 

नाले नदियांं और सारे पहाड़ मैदान

बंद होती कभी तो कभी तेज बरसती

क्यों बेईमानी पर उतर आया आसमान।


ढलान छतों में न रुके जल वर्षा का 

टप टप गिरता जाए घर आंगन में 

पेड़ पोंधे सब स्थिर खड़े हैं कतार में

उमंग जैसे शून्य हो गई हो मन में।


सफेद चमकीली चादर ओढ़ लेेती धरा 

पहाड़ों में हिमपात खूब जम कर गिरा है

लगे सारी चोटी हिमालय के ही जैसी 

शीत लहर में भी जी रहे हिमपात खुशी।


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