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Sudhir Srivastava

Tragedy

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Sudhir Srivastava

Tragedy

अवध में राम आये हैं

अवध में राम आये हैं

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अजीब तमाशा है 

जैसे हमें पता ही नहीं है 

कि अवध में राम आये हैं।

चलिए! आपने कहा तो हमने मान भी लिया 

पर क्या आप मेरी भी बात मानेंगे?

या अपने ज्ञान का ही ढिंढोरा पीटते रहेंगे 

राम जी तो त्रेतायुग में ही आ गये थे 

और आप अब कह रहे हैं कि राम जी अब आये हैं।

अरे भाई! यदि आप कहें  

कि अब अयोध्या के राम मंदिर में राम आये हैं,

तो हम भी आपके सुर में सुर मिलाएंगे।

वैसे भी क्या फर्क पड़ता है ?

कि राम आये थे या राम आये हैं,

कौन सा मुँह लेकर हम उनके स्वागत में गीत गा रहे हैं?

हम आप तो जाति, धर्म, हिंदू-मुसलमान 

मंदिर-मस्जिद के झगड़ों में फँसे हैं 

वोटों की राजनीति में उलझे हैं,

अनाचार, अन्याय, भ्रष्टाचार के दलदल में फँसे हैं 

हिंसा, अपराध, व्यभिचार और 

स्वार्थी मानसिकता में जकड़े हैं।

राम आये हैं चलो अच्छा है 

न आते

तो और भी अच्छा होता,

क्योंकि बड़ा प्रश्न है 

कि हमारे कौन से कर्म धर्म देखकर 

राम जी हम पर अपनी कृपा लुटाएंगे?

अब आप तो मानोगे नहीं 

पर मैं तो यही कहूँगा 

कि राम जी आयें हैं तो परेशान होकर सिर्फ पछताएंगे।

अब जब आप कह रहे हैं कि अवध में राम आये हैं 

तब क्या हम-आप सब ये सौगंध उठायेंगे 

कि हम सब राम जी की मर्यादा की लाज बचायेंगे,

रामराज्य के अनुरूप अपना आचरण बनायेंगे?

यदि हाँ! तो विश्वास कीजिए तभी राम जी आयें हैं।

वरना इस मुगालते में न रहिए कि राम जी आयें हैं 

आये भी हैं, तो सिर्फ राम मंदिर में बैठे रह जायेंगे 

अब हम हों या आप सिर्फ झुनझुना बजाएंगे 

और फूले नहीं समा रहे हैं 

कि अवध में राम आये हैं,

और हम-आप मिलकर सिर्फ कोरा रामधुन गा रहे हैं 

और बड़ी बेशर्मी से राम जी को भरमा रहे हैं।


सुधीर श्रीवास्तव 


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