भाड़ में जाओ
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जीवन में कुछ करना
और सफलता के शिखर पर चढ़ना है,
तो मेरी तरह समझदार बनिये
समय के साथ चलना सीखिए,
समय परिस्थिति के अनुरूप ढलना सीखिए
और तो और गिरगिट की तरह रंग बदलना सीखिए।
क्योंकि तब आप कुछ नहीं कर पायेंगे,
भूखे-प्यासे ही बेमौत मर जायेंगे,
अड़ोसी-पड़ोसी की बात तो छोड़िए
आपके अपने ही किसी काम नहीं आयेंगे।
सब आपको ताने देंगे, दुत्कारेंगे
आपसे अपने रिश्ते को सख्ती से नकारेंगे,
धक्के मार- मारकर भगायेंगे, आइना दिखाएंगे
पर भूख मिटाने के लिए आपको
दो सूखी रोटी भी मुँह पर नहीं मार पाएंगे।
अब आपको सोचना है
सिर्फ बेवकूफी वाले काम ही करना है
या समय के अनुरूप ढलना और खुद को बदलना है,
मौका मिले तो किसी का भी
गला रेतने को तैयार रहना है।
अपनों के चक्कर में पड़कर
अपना और अपने बीबी बच्चों का
सिर्फ जीवन बर्बाद करना है।
एहसान तो आप मानोगे नहीं,
एहसान फरामोश जो है,
पर इसका तो बोध मुझे पहले से ही था
इसलिए मुझे फर्क नहीं पड़ेगा।
मेरा जो काम था, मैंने कर दिया
यह सोच कर कि दरिया में डाल दिया,
अब आप सोचो कि शुरुआत अभी करना है
या धक्के खाकर अपमानित होने के बाद ही
सच को स्वीकार करना है,
और फिर समय गँवाने का अफसोस करना है,
वैसे भी दुबारा आपको सलाह देने के लिए
मैं तोअब कभी आऊँगा नहीं
भाड़ में जाओ, क्योंकि तुम्हें तो ऐसे ही मरना है।
सुधीर श्रीवास्तव