STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

बारात आमंत्रण

बारात आमंत्रण

2 mins
4

बारात आमंत्रण  ********** लीजिए, स्वीकार कीजिए  मेरी अंतिम यात्रा का निमंत्रण, जिसे आप मेरे जीवन की  दूसरी बारात भी कह सकते हैं, और नहीं भी यह आपका सर्वाधिकार है। पर यह भी सच है कि किसी ने आपको  ऐसा निमंत्रण नहीं दिया होगा  जो मैं आपको अग्रिम दे रहा हूँ, जिसका समय, तिथि, मुहूर्त सब समय के गर्भ में है पर एक दिन यह बारात भी निश्चित है। चार कंधों पर बड़ी शान से  आप सब मुझे लेकर मेरी बारात में चलोगे, और चुपचाप मुझे ही अकेला छोड़ घर लौट आओगे। पर मुझे अकेला छोड़ आने का तनिक भी मलाल मत करना, क्योंकि मैं तो शहंशाह की तरह  दूसरी दुनिया में चला जाऊँगा। आप सब मुझे देख नहीं पाओगे  मिलना चाहोगे, पर मिल नहीं पाओगे,  बात करना और शिकवा, शिकायत भी करना चाहोगे, पर अफसोस, ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर पाओगे, कुछ दिन याद करोगे, फिर एक दिन भूल जाओगे। सब अपने-अपने कर्मों का खेल है, हम तो चले जायेंगे, आप यहीं रह जाओगे, हम तो वहाँ से भी आप सबको देख पायेंगे, चाहेंगे, मगर आपके किसी काम नहीं आ पायेंगे, हम वहाँ और आप यहाँ जीवन बिताएंगे  पर अफसोस कि अपनी इस बारात का हम लुत्फ बिल्कुल भी नहीं उठा पायेंगे, और इस दुनिया को अलविदा कह  चुपचाप अपनी नई दुनिया में रम जायेंगे  अपने कर्मों के हिसाब से सुख-दुख का  भरपूर आनंद उठायेंगे, आप सबको अपना आभार धन्यवाद वहीं से पहुँचाएंगे। सुधीर श्रीवास्तव  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract