मृत्यु लोक रत्न उपाधि
मृत्यु लोक रत्न उपाधि
मृत्युलोक रत्न उपाधि ************ कल आनलाइन एक पत्र मैंने मृत्यु को भिजवाया, जिसका जवाब तत्काल आया, धैर्य रखिए जनाब, लिस्ट लंबी है आपका नाम लिस्ट में ही कहीं नहीं है आप यमराज के मित्र हो इसलिए आपको जवाब दे दिया वरना अभी तो अधिकांश का मेल भी नहीं देख पाया। काम का बोझ इतना है, कि सब गड्ड-मड्ड हो रहा है, ईमानदारी से कहूँ तो कुछ उलटफेर भी चल रहा है लाइन में आगे वाले को पीछे ढकेलकर पीछे वाला पहले आने के लिए मरा जा रहा है। ऊपर से आनलाइन का बड़ा लफड़ा है, डिजिटल अरेस्ट का भी खतरा है। इसलिए हमारा सारा काम-काज सोलहवीं शताब्दी के हिसाब से चल रहा है, सिर्फ ई-मेल की व्यवस्था का तकनीकी उपयोग हो रहा है। ये तो अच्छा है कि आपका मेल मैंने देख लिया वरना अनर्थ हो जाता, हो सकता है, अब तक आपका टिकट भी कट जाता। शुक्र है कि कारण बताओ नोटिस से मैं बच गया। अब आप मेरा कहना मानो और मेल भेजने का कष्ट कभी न करो, सुविधानुसार आपको ले आऊँगा। बस! आप स्वस्थ, मस्त, व्यस्त रहो यमराज से नोक -झोंक करते रहो कविताओं का पुलिंदा बनाकर रखते रहो, यहाँ भी एक भव्य कवि सम्मेलन करवा दूँगा, प्रतिष्ठित सम्मान, उपाधि भी आपको दिलवा दूँगा, कोई नहीं तो मैं ही मृत्युलोक रत्न उपाधि, मोमेंटो और एक खूबसूरत शाल के साथ आपको सम्मानित कर दूँगा। आप चिंता बिल्कुल मत करो प्रचारित, प्रसारित भी करवा दूंगा आपका नाम मृत्युलोक में भी चमका दूँगा, राज की बात है रहने दीजिए आपको वीवीआईपी सुविधाएँ भी दिलवा दूँगा। सुधीर श्रीवास्तव
