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Sanjay Verma

Drama

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Sanjay Verma

Drama

और आना

और आना

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विदा होते ही आँखों की

कोर में आँसू आ ठहरते

और आना, जल्द आना

कहते ही ढुलक जाते आँसू।


इसी को तो रिश्ता कहते

जो आँखों और आँसुओं के

बीच मन का होता है।


मन तो कहता और रहो

मगर रिश्ता ले जाता

अपने नए रिश्ते की और

जैसे चाँद का बादलों से होता

रिश्ता ईद, पूनम के जैसा।


दिखता नहीं मन हो जाता बेचैन

हर वक्त निहारती आँखें

जैसे बेटी के विदा होते ही

सजल हो उठती आँखें।


कोर में आँसू आ ठहरते

फिर ढुलकने लगते आँखों में आँसू

विदा होने के पल चेहरे छुपते

बादल में चाँद की तरह।


जब कहते अपने, और आना

दूरियों का बिछोह संग

रखता है आँसू

शायद यही तो अपनत्व का है जादू।


जो एक पल में आँसू

छलकाने की क्षमता रखता

जब अपने कहते- और आना।।


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