अस्पताल की आग
अस्पताल की आग


देखो कैसा है आज,
इस अस्पताल का दृश्य।
न डॉक्टर है कोई यहाँ,
न है कोई यहॉं मरीज़।।
नंगे खाट बिछे हुए हैं,
चहुँओर इस कमरें में।
कोई कोई खाट पर हैं,
झुलसे शव शिशु के।।
यह कैसा मौत सा,
सन्नाटा है फैला हुआ।
मानो अभी-अभी
ताण्डव दिखलाकर,
मौत हो वापस लौटा हुआ।।
सोंचो, यह मंज़र ऐसा है तो,
वो मंज़र फिर कैसा होगा?
चीख़, पुकार हड़कम्प मची,
फिर आग में सबको झोंका होगा।।