अपनो से हुए पराए
अपनो से हुए पराए
मैं भुला नहीं मगर याद करने को अब रहा क्या है
जिसे लौटना ही नहीं उसकी
उम्मीद से मुझे वास्ता क्या है।
वो जो बे-सबब वादे मुहब्बत के तोड़े चला गया
मुझे ऐसे शख्स से अब गिला क्या है।
उसने कभी समझने की कोशिश ही ना कि
मुझे खुद से दो पल में पराया कर दिया
मगर कभी जान ना सका मेरी मोहब्बत क्या है।