अपने नाम पर
अपने नाम पर
चल लड़ते हैं यार,जनता के नाम पर,
छल करते हैं यार,जनता के नाम पर!
किस को क्या पता?क्या है राजनीति?
दल बदलते हैं यार,जनता के नाम पर !
काट लेते हैं हक,धीरे से सभी का फिर,
सब कुतरते हैं यार,जनता के नाम पर !
जन जन की आस को,देकर हवा चलो,
जेब को भरते हैं यार,जनता के नाम पर!
सब भूल जाते यहां,क्या याद रहता है,
फिर फिसलते हैं यार,जनता के नाम पर!