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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

अपने ही घर पर पराया हूं

अपने ही घर पर पराया हूं

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अपने ही घर पर पराया तारा हूं

कोविड 19 का मैं एक बेचारा हूं


ज़रा सा सर्दी-जुकाम क्या हुआ,

अपनों में ही हुआ मैं बेगाना हूं


क्या डॉक्टर, क्या मेरा परिवार

अपने ही घर बंद बुझा तारा हूं


अपने ही घर पे पराया तारा हूं

कोरोना का बुरी तरह मारा हूं


ज़ुखाम, खांसी की दवा मिल गई

क्वाण्टाइन से भी छुट्टी मिल गई


कुछ लक्षण क्या दिखे कोविड के,

अपनी ही छत में पराया नारा हूं


पहले ही सामाजिक दूरी बना ली,

फिर क्यों अपनों ने मुझे बद्दुआ दी,


पर अपनों की हरकतों से हारा हूं

शूल में फूल से हुआ बेसहारा हूं


कभी पूरा आईना हुआ करता था

आज अक्स से करता किनारा हूं


अपने ही घर पर पराया तारा हूं

अपनों की बुज़दिली का मारा हूं


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