अनुपम उपहार
अनुपम उपहार
बीत गया एक साल और
खटमिट्ठी यादों को बटोर
स्मृति मंजूषा में पृष्ठ जोड़
देकर जीवन को नया मोड़
कुछ शिकन माथे पर गया छोड़
कुछ चाँदी बालों में गया जोड़
कुछ अनुभव को और बढ़ा गया
जीवन का गणित सिखा गया
मुस्कुरा कर विष को भी पीना
जीवन की कला है बता गया
कुछ ने खोया कुछ ने पाया
नियति का खेल प्रभु की माया
किसी को मिला है सुख अपार
किसी के हिस्से में दुख आया
समय चक्र चलता रहता है
कहीं धूप और कहीं है छाया
परम पिता का अनुपम उपहार
जीने को मिला है एक और साल
इसको न व्यर्थ गवाएँ हम
जीवन को सार्थक बनाएँ हम
