अनुभव
अनुभव
जो कुछ है सब तुम्हारे अन्दर है,
बाहर असंख्य दृश्य हैं,
पर तुम्हारे पास अनुभव के
केवल पॉंच उपकरण हैं।
तुम्हें कुछ करना नहीं पड़ता,
ये अपने आप काम करते हैं।
नेत्र दृश्य देखते हैं,
और उसको मन तक भेजते हैं।
कान सुन्दर शब्द सुनते हैं,
उसे मन तक भेजते हैं,
नासिका सुन्दर गन्ध लेती है,
उसे मन तक भेजती है।
रसना सुन्दर स्वाद लेती है
उसे मन तक भेजती है,
त्वचा सुन्दर स्पर्श लेती है
उसे मन तक भेजती है।
सब इन्द्रियॉं काम कर रही हैं
मन पर उनका प्रतिबिम्ब पड़ता है,
मन केवल सुख दुःख उत्पन्न करता है,
फिर बुद्धि उसका विश्लेषण करती है।
बुद्धि मन से महान है,
बुद्धि से मन ठीक रहता है।
और इसी बुद्धि के सहारे,
तुम शान्त बने रहते हो।
सुख दुःख के बीच में,
उद्विग्न नहीं होते हो।
सम्यक् कर्म करते हो,
निष्काम बने रहते हो।