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MANISHA JHA

Abstract

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MANISHA JHA

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अनुभूति

अनुभूति

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201

सुबह सुबह उठकर,थोड़ी देर टहलकर

अद्भुत आनंद का लुफ्त उठाकर

ठंढी हवाओं का रुख देखकर

जो सुकून मिलता है.. वो अलौकिक है।


अपने नन्हे से बच्चे की मुस्कान देखकर

छोटी -छोटी आँखों के इशारे समझकर 

मीठी सी एक आवाज सुनकर

दौड़े - दौड़े भाग कर आने में

जो सुकून मिलता है.. वो अलौकिक है।


स्कूल के बच्चों को छुटियों के बाद मिलकर

उनके साथ पोज़ के साथ सेल्फी खिंचवाकर

उनसे इतना प्यार और सम्मान पाकर

उनकी मासूम सी उलझनों को सुलझाकर

जो सुकून मिलता है... वो अलौकिक है।


शाम में आराध्य देव के सामने घी के दिए जलाकर

भजन और कीर्तन से उनको रिझाकर 

तरह - तरह के प्रलोभन से उनको लुभाकर 

सहृदय नमन करना सर झुका कर

जो सुकून मिलता है....वो अलौकिक है।


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