अंतर्मन की दीप्ति
अंतर्मन की दीप्ति
अंतर्मन की दीप्ति जलाना जरूरी है।
मन का अंधकार मिटाना जरूरी है।
मन में अंधेरा रूपी राक्षस मुंह खोल के बैठा है।
मन में सदाचार विचार आने नहीं देता है।
अंतर्मन के भीतर हृदय में तुम ज्ञान की ज्योति जलाओ।
अंधकार फैलने से पहले ही खुद को बचालो।
अंतर्मन में ज्योति फैलते ही मन में आशा की करुणा जागेगी।
निराशा कुंठा हींन भावना जैसी विपदा भी मिटेगी।
अंतर्मन की दीप्ति जलाने से पहले,
सुविचार धारण करना होगा।
निराशा की कुंठा से निकलने के, लिए मन ने संकल्प भी करना होगा।
अंतर्मन की दीप्ति से जीवन प्रशस्त भी होगा।
मन पुलकित होगा मन की आभा भी बढ़ेगी।
अंतर्मन में दीप्ति पाने हेतु
सुविचार पाना जरूरी होगा
सुविचार पाने के लिए मन का अहंकार मिटाना होगा।