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Priyesh Pal

Tragedy Others

4.0  

Priyesh Pal

Tragedy Others

अन्तिम दर्शन

अन्तिम दर्शन

1 min
331


मैं अंतिम दर्शन का पुण्य लेने गया था,

उस व्यक्ति के जिसे मैं ठीक से

जानता तक नहीं।

सुना था, बीमार है कई दिनों से।

खाना, नाक से डाली हुई नली से,

उसके गले से होता हुआ,

उसकी आंतो तक आता था।


वह पेशाब भी बिस्तर पर करता था,

जो एक दूसरी नली के सहारे,

एक पैकेट में इकट्ठा होता।

जिसे उसके परिवार वाले हर समय

बदलते।

कितने कष्ट में होगा वह,

और उसका परिवार।


उस वक़्त मैं कभी नहीं गया उधर

जब उक्त व्यक्ति को जरूरत थी मेरी

या उस परिवार को ही।

हो सकता है वे चाहते रहे होंगे कि

मैं तब होता वहां,

देता उनके बुरे वक़्त में उनका साथ

ज़्यादा नहीं, सिर्फ़ कुछ बातें करके,

घर के कुछ काम में हाथ बंटा कर,

या फिर मिलने के बहाने खुद

चाय ही पी लेता,

बस उस वक़्त वहां होता

जहां गया था आज मैं

अन्तिम यात्रा में पुण्य कमाने।


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