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Sukanta Nayak

Inspirational

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Sukanta Nayak

Inspirational

अन्तः व्यथा

अन्तः व्यथा

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सबके दिलों में कुछ ना कुछ बात होती है

एक मीठा सा एहसास होती है

चाहे कितना भी खुद को समझालो

हर कोई हर किसी के लिए खास नही होती है।


ठुकराया है कितना इंसान हमे

फिर भी छोड़ा नही मुस्कुराना हमने

प्यार दोगे तो जान भी देंगे

और ना दे पाए प्यार तो भी तुम्हे सहारा देंगे

मत उजाडो दुनिया हमारी

वरना बदले में हम कोड़े ही देंगे।


अपनी सुविधा ऐशोआराम के लिए जंगल जलाया

खुद के घर को चमकाया तो फिर हमारे घर क्यों गिराया

हस्ती तो कब की थी डूबी अब बस्ती भी गयी

दर दर ठोकर खाये जान मुश्किल पे बन आयी।


हम जानवर है तो क्या हुआ, 

तुमसे तो भले

अकल तो हमने कम है पायी, 

लेकिन तुम जैसे अक्लमंदों से तो काफी भले।


हमे पिंजरे में रखेने वालो

हम पे हँसने वालो 

याद रखना एक बात,

सबका समय आएगा 

जब उल्टी दिशा में हवा बहेगा

प्रकृति से खिलवाड़ करने वालो

तुम्हारा अंत जल्द ही आएगा।




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