वक्त....!!!
वक्त....!!!
वक्त बड़ा बेरहम होता है
कब हाथों से फिसल जाए
पता नहीं चलता है,
वक्त सदा एक सा हो
ये भी नही होता है
हर तूफान के बाद
बसंत सा होता है,
वक्त खामोश
जरा ठहरा दिखता है
पर वक्त खुदब खुद
खुद को बदल देता है,
वक्त के साथ चलोगे तो
साथ चलेगा
वक्त से जुदा हुए
तो तन्हा छोड़ देता,
वक्त एक जुआ है
खेलना सभी को पड़ता है
दांव सही लगा
तो जिंदगी का मजा देता है
दांव उलटा तो सजा भी देता है,
वक्त बड़ा मनमौजी है
मन का करता है
किसी का मोहताज नहीं
बस अपनी सुनता है,
वक्त की उंगली थामे चलो
हर किसी का वक्त बदल देता है
अनसुना जो किया तो
वक्त सितम ढा देता है,
वक्त हर वक्त का मौसम होता है
हंसता है हंसाता है
बेवक्त बेरहम रुला देता है,
वक्त ढांढस भी देता है
वक्त आंसू भी पोंछता है
वक्त सबकुछ भुला
फिर एक मौका देता है,
वक्त के आईने में सब एक जैसे हैं
ना कोई बड़ा ना छोटा कोई
वो राजा को रंक तो
भिखारी को राजा बना देता है,
वक्त की कद्र हो
तो ये किरदार बड़ा कर देता है
बेकद्री में पर्दे से
किरदार बदल देता है,
वक्त हवा का झोंका है
संग बहना होता है
नही तो पतझड़ में पत्ते सा
टूटकर गिरना होता है,
वक्त अच्छा और बुरा होता है
कभी खुशी,कभी आंसू और
कभी ढेर सारा दर्द देता है
वक्त हर जख्म को
मरहम देता है
वक्त आने पर भर भी देता है,
सच....!
वक्त बड़ा बलवान होता है...!!!