Sukanta Nayak
Drama
सुबह की पहली किरण जब मुझ पे गिरी,
आँखों में मेरे थोड़ी नमी सी छाई
साँसों में एक ताजगी भर गयी,
और मन में उमंग लाई।
कुछ कर गुजरने का जुनून
आसमानों को छू जाने का जज्बा
हर मुश्किलों को लांघने का साहस
मन में ये सारे आयाम तरंग बनके आए।
आपका साथ
ये खेल नहीं आ...
माता पिता
तेरी ओर
सपना
बीज
बुढ़ापा
उमंग
चुनाव
ख्वाहिश
साथ ही काऊ हग डे की चलाये, हम प्रथा नव निर्मला। साथ ही काऊ हग डे की चलाये, हम प्रथा नव निर्मला।
हर गम की अपनी मुस्कान है हंसोगे आंसू बहाना छोड़ दोगे। हर गम की अपनी मुस्कान है हंसोगे आंसू बहाना छोड़ दोगे।
तो, तुम्हारे सारे काम, अच्छे से बन जाते हैं। तो, तुम्हारे सारे काम, अच्छे से बन जाते हैं।
वो गुजारती हर एक रात है उसका आना एक एहसास है। वो गुजारती हर एक रात है उसका आना एक एहसास है।
पर ये अल्फाज़ तुझपे नहीं जँचता, सो मैं लिख नहीं पाया मैं लिख नहीं पाया... पर ये अल्फाज़ तुझपे नहीं जँचता, सो मैं लिख नहीं पाया मैं लिख नहीं पाया...
हंसी और गम दोनों है तू। ऐ जिन्दगी क्या है तू। हंसी और गम दोनों है तू। ऐ जिन्दगी क्या है तू।
दिल की धड़कन का ताल मिलाकर, प्यार का तराना मुझे गाना है। दिल की धड़कन का ताल मिलाकर, प्यार का तराना मुझे गाना है।
राजनीति है ये सारी उन लोगों की शान्ति जिन्हें बर्दास्त नही।। राजनीति है ये सारी उन लोगों की शान्ति जिन्हें बर्दास्त नही।।
एक विषादपूर्ण लेकिन अर्थपूर्ण सत्य एक विषादपूर्ण लेकिन अर्थपूर्ण सत्य
माता के दुलारे, माता का मिटाया था, शोका आप जैसा दूजा न हुआ है, रामभक्त चोखा माता के दुलारे, माता का मिटाया था, शोका आप जैसा दूजा न हुआ है, रामभक्त चोखा
आप के प्यार में डूब गये थे हम, जुदाई की पल मुश्किल होने लगी। आप के प्यार में डूब गये थे हम, जुदाई की पल मुश्किल होने लगी।
तिनके मेरे घोसलें के, जमीं पर बिखरे जाते हैं।। तिनके मेरे घोसलें के, जमीं पर बिखरे जाते हैं।।
कठोर मेहनत से लगाया है, बीज कैसे न खिलेंगे फूल, शूलों बीच कठोर मेहनत से लगाया है, बीज कैसे न खिलेंगे फूल, शूलों बीच
आपका ना कोई मोल है पापा,,, आप बड़े अनमोल है पापा।। आपका ना कोई मोल है पापा,,, आप बड़े अनमोल है पापा।।
ले हरि नाम, इससे पत्थर भी तर गया व्यक्ति का कर्म यहां आया ओर गया। ले हरि नाम, इससे पत्थर भी तर गया व्यक्ति का कर्म यहां आया ओर गया।
उसको सुख समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है। उसको सुख समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।
चित हुई घर व्यवस्था चारों खाने तब लगा, स्त्री बिन अधूरे, अफसाने चित हुई घर व्यवस्था चारों खाने तब लगा, स्त्री बिन अधूरे, अफसाने
मगर स्वर्णकणो के साथ तिमिर को कैसे हराया जाए सोचता है मन। मगर स्वर्णकणो के साथ तिमिर को कैसे हराया जाए सोचता है मन।
हम भी साखी वहां पर थे डूबे, जहां न था एक बूंद जल प्रवाह हम भी साखी वहां पर थे डूबे, जहां न था एक बूंद जल प्रवाह
हर जन्म मेरे मन में, तेरी हसरत के निशाँ होंगे। सौ बार जन्म लेंगे….. हर जन्म मेरे मन में, तेरी हसरत के निशाँ होंगे। सौ बार जन्म लेंगे…..