Sukanta Nayak

Classics

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Sukanta Nayak

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आपका साथ

आपका साथ

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यूँ चलते चलते

आपका साथ मिल गया

मेरी उम्मीदों को

एक आश मिल गयी।


रास्तों में सफर

अब आसान हो गया

आपका साथ जो मिला,

हर एक पल मीठा

एहसास बन गया।


हो गई थी उदास

ज़िन्दगी से निराश

टूट के बिखरने लगी थी

जैसे कोई घर हो ताश।


हाथ जो आपने थामा 

मन मे आई एक बहार

लक्ष्य बन गया आकाश।


सूरज की पहली किरण

बनके आप आये

मेरी हथेलियों पे

खुशनसीबी की लकीर

बनके समाये।


हर कदम पे

आपका साथ पाया

हर गम पे आपने

भरोसा दिलाया।


अब एक चाह है रब से

आप बहुत प्यारे हो सबसे

मन मे तो समाये

ही हो आप।


अब उम्र भर साथ

हो जाओ आप।


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