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Sukanta Nayak

Drama

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Sukanta Nayak

Drama

सपना

सपना

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हर पल एक नशा है

हर पल बहती एक हवा है

जिन्दगी का हर पड़ाव 

मद मस्त झूमता आसमान है।


इतनी खुशी ना थी कभी

इतना मज़ा ना आया कभी

एक कटि पतंग थी

बुलंद गगन को

चूमने की ख्वाहिश ना थी।


हर कदम जैसे कोई एक रचना

अपनी अस्तित्व की खोज में

अब सफर भी लगे

एक रोमांचक सपना।


ख्वाबों में तैरता रहता 

रातों को बादलों से बातें करना

हवाओं में उड़ते रहना

आंखें बंद होना 

और अंतः परमानंद को

महसूस करना।


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