तेरी ओर
तेरी ओर
कभी कभी ऐसा लगता है
कि जैसे भीड़ में भी अकेला है
और इस अकेलेपन से
कुछ इस तरह रूबरू है,
कहीं दूर से कोई
पुकारती चली जा रही है
और बांहें पसारे बुला रही है।
एक पल की दूरी सता रही है
भ्रम में जीवन जीए जा रहे हैं
हँसते हँसते ग़मों को पीये जा रहे हैं।