STORYMIRROR

शहीदों की आवाज़

शहीदों की आवाज़

2 mins
852


मैं रहूँ या ना रहूँ देश हमारा आबाद रहे

हिंद की जमीं का ज़र्रा ज़र्रा आज़ाद रहे।


रहे बुलंदियों पर इसकी शान ओ शौकत

बुरी नजर जो डाले उसे दिखा दो औकात।


वफ़ा हमने की है तो वादा निभाएंगे ज़रूर

आखरी सांस तक रहेगा ये इश्क़ का सुरूर।


कोई समझे ना समझे तू समझना मेरी माँ

लिए दिल में कई हसरतें कुर्बां कर दी जां।


तेरे सामने कभी सर उठा न पाए दुश्मन

सर वो कटके गिरे छीने जो चैनो अमन।


लौट आए एक बार फिर रौनक ए चमन

खुशबू से महकता रहे हिंदुस्तां ए वतन।


खाली ना जा पाए कुर्बानी ऐ मेरे वतन वालो

वतन तुम्हारे हवाले इसे अब तुम ही संभालो।


गर गैरों की कभी हिंदुस्तां पर उठी नज़र

सर काट कर रख देना माँ के कदमों पर।


कई बार पीठ पीछे भोंका कायर तूने खंजर

तेरे सीने पे मारेंगे गोलियाँ देखता रहेगा मंजर।


मैं तो चला सफर पे लिए दिल में ये अरमान

खून के बदले खून से रंगे वतन ए पाकिस्तान।


आखरी नींद सोऊं गोद में माँ के सिर रखकर

चूम लूं तेरी पाक मिट्टी को मैं जी भर कर।


तू ना आँसू बहा ऐ माँ बेटे तेरे हैं हजार

उन कंधों ने ले ली अब तेरी रक्षा का भार।


लौट कर आऊंगा फिर जां करूंगा निसार

तुझसे करता रहूँगा ऐ हिंद मैं बेपनाह प्यार।


मैं रहूँ ना रहूँ देश हमारा सदा रहेगा आबाद

तुझ पर मर मिटने को लाख है तेरी औलाद।


बीते हुए वक्त की तरह हमें भुला ना देना

मिले कभी फुर्सत तो याद ज़रूर कर लेना।


मिट्टी की खुशबू में मिल जाएगा पता हमारा

जहां पर कतरा कतरा गिरा था खून हमारा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational