अनकहे रिश्ते
अनकहे रिश्ते
अनकहे रिश्ते को क्या हम नाम दें
जो जुड़े दिल से है क्या पैगाम दे,
मायने यह है नहीं अपने हैं वो
बिन स्वार्थों के रिश्तो को अंजाम दे।
बिन नाम के भी होते हैं रिश्ते कई
दिल से जुड़े जो स्नेह के धागों से है,
अपना पराया तो कोई होता नहीं
दिल से हो रिश्ते ना कोई जो नाम दे।
डोर रिश्तो की बड़ी नाजुक यहां
टूट जाए गर जो ना जुड़ती यहां
रख संजोकर आशा विश्वास को
संग जो तेरा सुबहो शाम दे।
