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Chetan Chakrbrti

Romance

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Chetan Chakrbrti

Romance

अनजान सफर

अनजान सफर

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कल निकला था बाजार के लिए घर से ,

पर सड़क पूरा का पूरा जाम था।

मैंने दूसरे रास्ते से बाजार जाने

की सोची,

चला जा रहा था मस्ती में की तुम

दिखी खुद के घर की खिड़की पे।


कमीना दिल धड़कने लगा और

रोज उसी रास्ते पे जाने की ज़िद

करने लगा।।

मेरे दिल के अंदर नए अरमान

उछलने लगे ।

मुझे कमबख्त दीवाना बनाकर

खुद दिलदार हो गए।।


कभी कभी अनजान रास्ते पे भी

मंज़िल सही मिल जाते है।

राही दिल साफ रखें तो हमसफर

लाजवाब मिल जाते है।।



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