अंदाज़ भी उनका देखा है
अंदाज़ भी उनका देखा है
जिद भी उनकी देखी है
अंदाज़ भी उनका देखा है
इन आँखों को क्या कहे
जिन्होंने ख़्वाब भी उनका देखा है।
वो सपने सही पर अपने हैं
पर किस हक़ से कहे कि अपने है
उनके तेवर कुछ ऐसे है
जैसे कितनो ने उनको अपना देखा है।
वो ठूस रहे मुँह में शब्द
वो शब्द जो मेरे कभी न थे
वो सीखा रहे है ऐसी सीख
जो सीखने को हम तैयार नहीं।
पर उनकी उल्फ़त ऐसी है
अपना हमने हर वार पलटते देखा है
वो आज नहीं तो कल समझेंगे
बस यही दिल को समझाते हैं।
वो और सितम की तल्ख़ी को
कुछ और बढ़ाते जाते हैं
हम मिट जाये या खप जाये
पड़ता उनको कोई फ़र्क़ नहीं।
जाने हमने और कितनों को
यूँ उन पर मिटते देखा है।