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Lakshman Jha

Abstract

3  

Lakshman Jha

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अंदाज पक्षिओं का

अंदाज पक्षिओं का

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हम उमुक्त 

गगन के बंजारे है,

पंखों के सहारे 

नभ में उड़ते है!

हमें सीमाओं ने 

ना रोक सका,

स्वक्षंद बने

आकाश को चुमते है!!


शासन सत्ता से 

हमको क्या लेना,

हमको अम्बर 

की जागीर मिली!

कोई हमको माने 

चाहे ना माने,

प्यार से रहने 

की तासीर मिली!! 


हम सब मिलजुल 

कर रहते है,

हम झुंडों में ही

रहकर उड़ते है!

एक दुसरे के

अनुगामी बनकर,

मंजिल को 

आसान बना जाते है!!


हमें बंदिश कभी 

ना रोक सकी,

मंदिर, मस्जिद,

गुरूद्वारे जाने को!

जाति, धर्म,

मजहब की दीवारें भी,

विचलित ना 

किया हम सारे को!!


आरक्षण की बातों  

से क्या मतलब?

हम झूठे वादे

कभी भी करते नहीं!

भला सपनों के 

महल में क्यों जाएँ?

जब झूठे नेता 

हमारे बीच रहते नहीं!!


"नागरिकता कानून"

से हम नहीं डरें,

हम खुद मालिक 

कानून के निर्माता!

गाँव, शहर,

देश-विदेशों घुमने का,

सौभाग्य हम 

सबको दिया विधाता!!


बस कुछ बातें 

हमको भी खलती है,

कार्बन उत्सर्जन 

से हम डरते है!

विकास के नेपथ्य में 

छुप-छुप कर,

हमारे आशियाने को ये मिटाते है!!


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